ऋतुचर्या आइकन

ऋतुचर्या

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का वर्णन ऋतुचर्या

मानव शरीर में सभी रोग वात, पित और कफ धातु(दोष) के कुपित होने से ही होते है। किसी ऋतु में कोई एक दोष (वात, पित्त, कफ) बढ़ता है, तो कोई शांत होता है | इस तरह हम कह सकते है कि मनुष्य के स्वास्थ्य के साथ ऋतुओं का गहरा संबंध है। अतः आयुर्वेद में प्रत्येक ऋतु में दोषों से होने वाली वृद्धि, प्रकोप या शांति के अनुसार सब ऋतुओं के लिए अलग अलग प्रकार के खान पान और रहन सहन (ऋतुचर्या) का उल्लेख किया गया है। ऋतुओ के आधार पर ऋतुचर्या(आहार – विहार) अपनाने से स्वास्थ्य की रक्षा होती है तथा मनुष्य रोगों से बचा रहता है।
ये ऋतुएं हैं : वसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, शीत ऋतु (हेमंत और शिशिर)
वर्ष के दो भाग होते हैं जिसमें पहले भाग आदान काल, में सूर्य उत्तर की ओर गति करता है, दूसरे भाग विसर्ग काल में सूर्य दक्षिण की ओर गति करता है। आदान काल में शिशिर, वसन्त एवं ग्रीष्म ऋतुएँ और विसर्ग काल में वर्षा एवं हेमन्त और शिशिर ऋतुएँ होती हैं। आदान के समय सूर्य बलवान और चन्द्र क्षीणबल रहता है। और विसर्ग में सूर्य क्षीण और चंद्र बलवान होता है |
वसन्त ऋतु मध्यम बलवाली, ग्रीष्म और वर्षा ऋतु दौर्बल्यवाली होती है, शरद ऋतु मध्यम बल व हेमन्त और शिशिर ऋतु उत्तम बलवाली होती है। इन ऋतुओं में पृथक-पृथक् चर्या(ऋतुचर्या) बतायी गयी है। यदि हम इन सभी ऋतुओं में बतायी गयी ऋतुचर्या का नियमित पालन करते है, तो किसी प्रकार के रोग उत्पन्न होने की सम्भावना नहीं रहती है, अन्यथा मानव शरीर अनेक मौसमी बिमारियों से ग्रसित हो जाता है।
शीत ( हेमंत व शिशिर) ऋतुचर्या
पथ्य आहार:
शीत ऋतु में चिकनाई , मधुर , लवण और अम्ल रस युक्त वाले पदार्थो का सेवन करना चाहिए। इन पदार्थों में शुद्ध घी , माखन , तेल , दूध , उड़द की खीर , मिश्री , रबड़ी , मलाई , गन्ने का रस , दलिया , मेवों से बना पदार्थ आदि उपयोगी है। अनाजों में अंकुरित चना, मूंग, उड़द, गेंहू या चने की रोटी, वर्षभर पुराने चावल, मौसमी फल जैसे– सेब, आंवला, संतरा आदि। सब्जियों में परवल, बैंगन, गोभी, जिमीकंद, पके लाल टमाटर, गाजर, सेम , मटर, पालक, बथुआ, मेथी आदि के हरे साग, सोंठ, गर्म जल तथा गर्म पदार्थ स्वास्थ्यवर्धक और पोषक है।
वसंत ऋतुचर्या
पथ्य आहार :
इस ऋतु में ताज़ा हल्का और सुपाच्य भोजन करना चाहिए। कटु रस युक्त, तीक्ष्ण और कषाय पदार्थों का सेवन लाभकारी है। मूँग, चना और जौ की रोटी, पुराना गेहूँ और चावल, जौ, चना, राई, भीगा व अंकुरित चना, मक्खन लगी रोटी, सरसों का तेल, सब्जियों में– करेला, लहसुन , पालक, केले के फूल, जिमीकन्द व नीम की नई कोपलें, सोंठ, पीपल, काली मिर्च, हरड़, आँवला, धन की खील, नींबू, मौसमी फल तथा शहद का प्रयोग उपयोगी है। अदरक डाल कर तथा शहद मिलाकर जल तथा वर्षा का जल पीना चाहिए।
ग्रीष्म ऋतुचर्या
पथ्य आहार :
गर्मी के मौसम में हल्का, चिकना, सुपाच्य, ठंडा और पेय पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए । पुराने जौ, सब्जियों में चौराई, करेला, टमाटर, आलू छिलके सहित, प्याज, पोदीना, नीम्बू आदि। फलों में मिर्च, संतरा, आम और अंगूर, हरी ककड़ी, शहतूत, फालसा, अनार, आंवले का मुरब्बा आदि। इस मौसम में ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इस मौसम में खाना चबा चबा कर तथा कम मात्रा में करना चाहिये।
वर्षा ऋतुचर्या:
पथ्य आहार :
वर्षा ऋतु में हल्के, सुपाच्य, ताजे, गर्म, और पाचक अग्नि को बढाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन हितकारक है। ऐसे पदार्थ लेने चाहिए, जो वात को शांत करने वाला हो। इस दृष्टि से पुराने अनाज जैसे गेहूँ, जौ, मक्का, सरसों, राई, खीरा, खिचड़ी, दही, मट्ठा, मूंग और अरहर की दाल। सब्जियों में– लौकी, भिन्डी, तोरई, टमाटर और पुदीना की चटनी हितकारी है। इस मौसम में पके और गूदेदार जामुनों का नियमित रूप से सेवन करने से त्वचा के रोग, जलन और प्रमेह रोगों में लाभ मिलता है।
शरद ऋतुचर्या:
पथ्य आहार :
इस ऋतु में कुपित पित्त को शांत करने के लिए घी और तिक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए। शाली चावल, गेहूँ, जौ, उबाल हुआ दूध, दही, मक्खन, घी, मलाई आदि। सब्जियों में चौलाई, बथुआ, लौकी, तोरई, फूलगोभी, मूली, पालक, सोया और सेम। आंवले को शक्कर के साथ खाना चाहिए। इस ऋतु में जल अगस्त्य तारे के प्रभाव से पूरी तरह विष व अशुद्धि से रहित हो जाता है।
स्वास्थ जीवन पाने हेतु अलग अलग ऋतुओ के अनुसार आयर्वेदिक ऋतुचर्या(आहार-विहार)
आवश्यक है।

अद्यतन ऋतुचर्या 1.0

ऋतुओ के अनुसार खान पान ही स्वास्थ जीवन का आधार है। इस रिलीज़ में हम निम्नलिखित बिंदु परकासित कर रहे है।
१. सभी ऋतुओ की व्याख्या और उनके महीने।
२. अलग अलग ऋतुओ के आधार पर खान-पान और आहार विहार।
३. त्रिफला लेने के अलग अलग ऋतुओ में नियम।

जानकारी

  • श्रेणी:
    स्वास्थ्य और फ़िटनेस
  • नवीनतम संस्करण:
    1.0
  • आधुनिक बनायें:
    2018-11-21
  • फाइल का आकार:
    2.6MB
  • जरूरतें:
    Android 4.4 या बाद में
  • अपडेट करने की तारीख:
    Ramaish Solutions
  • ID:
    panchgavya.health.ayurved.ritucharya